देशी ब्रीड के कुत्तों को कोई ये सब कहे तो बात अलग है - पालतू कुत्ते विदेशी नस्ल के होने चाहिए तभी उनपर मॉडर्निस्टों को प्यार आता है.
हेलीकॉप्टर या छोटे जहाज होते हैं जो उतना ऊपर नहीं उड़ते - बाढ़ की विभीषिका नजर आ जाती है अच्छे से. वो कोई रेस्क्यू मिशन पर हर एक फंसे आदमी को नहीं खोज रहे होते .
:) किसी भी विदेश के - विदेश मतलब हमारे से ज्यादा विकसित देश
गाय खेती से जुड़ी है - खेती ऐतिहासिक व्यवसाय होने के कारण "पिछड़ा" है. कुत्ता मॉडर्न एकाकी परिवारों का सदस्य होने के कारण विशेष स्टेटस रखता है. दोनों में कोई तुलना नहीं
शरणार्थिओं को वहाँ बसाना चाहिए जहाँ वो घुल मिल जाएँ. घुल मिल नहीं पाएंगे तो सामाजिक समस्या
लोकल स्तर पर होते हैं - चोरी हत्या से लेकर स्मगलिंग जैसे अपराध करते हैं गलत
रणवीर सिंह की फिल्म आई थी - "गुंडे" - इसमें उसके बचपन की मानसिकता का अच्छा उदाहरण है समझने के लिए.
अगला चुनाव भविष्यवादी और परिवारवादी लोगों के बीच लड़ा जाएगा
हिन्दू धर्म में जीवन 'साइक्लिक' है
दोनों एक दूसरे की गलतियों से सीखें
एक समय था जब आज के २ वालों के पूर्वज भी दस रखते थे.
क्या करें - दुनिया विचारों से संकुचित होती जा रही है
दो से ज्यादा रखने में "असुविधा" होती है
२ तो फिर भी बहुत हैं, आजकल तो १ भी ज्यादा लगता है उन्हें
दुनिया का सारा सुख हमें एक ही जीवन में ले लेना है - असुविधाएँ अखरती हैं
ये जो शोरूम में बिकने वाले जूतों की कम्पनियाँ हैं
ऑनलाइन शॉपिंग में दोनों बिकते हैं
हेलीकॉप्टर या छोटे जहाज होते हैं जो उतना ऊपर नहीं उड़ते - बाढ़ की विभीषिका नजर आ जाती है अच्छे से. वो कोई रेस्क्यू मिशन पर हर एक फंसे आदमी को नहीं खोज रहे होते .
:) किसी भी विदेश के - विदेश मतलब हमारे से ज्यादा विकसित देश
गाय खेती से जुड़ी है - खेती ऐतिहासिक व्यवसाय होने के कारण "पिछड़ा" है. कुत्ता मॉडर्न एकाकी परिवारों का सदस्य होने के कारण विशेष स्टेटस रखता है. दोनों में कोई तुलना नहीं
शरणार्थिओं को वहाँ बसाना चाहिए जहाँ वो घुल मिल जाएँ. घुल मिल नहीं पाएंगे तो सामाजिक समस्या
लोकल स्तर पर होते हैं - चोरी हत्या से लेकर स्मगलिंग जैसे अपराध करते हैं गलत
रणवीर सिंह की फिल्म आई थी - "गुंडे" - इसमें उसके बचपन की मानसिकता का अच्छा उदाहरण है समझने के लिए.
अगला चुनाव भविष्यवादी और परिवारवादी लोगों के बीच लड़ा जाएगा
हिन्दू धर्म में जीवन 'साइक्लिक' है
दोनों एक दूसरे की गलतियों से सीखें
एक समय था जब आज के २ वालों के पूर्वज भी दस रखते थे.
क्या करें - दुनिया विचारों से संकुचित होती जा रही है
दो से ज्यादा रखने में "असुविधा" होती है
२ तो फिर भी बहुत हैं, आजकल तो १ भी ज्यादा लगता है उन्हें
दुनिया का सारा सुख हमें एक ही जीवन में ले लेना है - असुविधाएँ अखरती हैं
ये जो शोरूम में बिकने वाले जूतों की कम्पनियाँ हैं
ऑनलाइन शॉपिंग में दोनों बिकते हैं
No comments:
Post a Comment