Wednesday, August 15, 2012

देशभक्ति के गीत


Sharing some Patriotic Songs of India, courtesy Sanjay ji (his blog link appears everywhere): 

आओ बच्चों तुम्हे दिखाएं

आओ बच्चों तुम्हें दिखाएं झाँकी हिंदुस्तान की
इस मिट्टी से तिलक करो ये धरती है बलिदान की
वंदे मातरम ...


उत्तर में रखवाली करता पर्वतराज विराट है
दक्षिण में चरणों को धोता सागर का सम्राट है
जमुना जी के तट को देखो गंगा का ये घाट है
बाट-बाट पे हाट-हाट में यहाँ निराला ठाठ है
देखो ये तस्वीरें अपने गौरव की अभिमान की,
इस मिट्टी से ...


ये है अपना राजपूताना नाज़ इसे तलवारों पे
इसने सारा जीवन काटा बरछी तीर कटारों पे
ये प्रताप का वतन पला है आज़ादी के नारों पे
कूद पड़ी थी यहाँ हज़ारों पद्‍मिनियाँ अंगारों पे
बोल रही है कण कण से कुरबानी राजस्थान की
इस मिट्टी से ...


देखो मुल्क मराठों का ये यहाँ शिवाजी डोला था
मुग़लों की ताकत को जिसने तलवारों पे तोला था
हर पावत पे आग लगी थी हर पत्थर एक शोला था
बोली हर-हर महादेव की बच्चा-बच्चा बोला था
यहाँ शिवाजी ने रखी थी लाज हमारी शान की
इस मिट्टी से ...


जलियाँ वाला बाग ये देखो यहाँ चली थी गोलियाँ
ये मत पूछो किसने खेली यहाँ खून की होलियाँ
एक तरफ़ बंदूकें दन दन एक तरफ़ थी टोलियाँ
मरनेवाले बोल रहे थे इनक़लाब की बोलियाँ
यहाँ लगा दी बहनों ने भी बाजी अपनी जान की
इस मिट्टी से ...


ये देखो बंगाल यहाँ का हर चप्पा हरियाला है
यहाँ का बच्चा-बच्चा अपने देश पे मरनेवाला है
ढाला है इसको बिजली ने भूचालों ने पाला है
मुट्ठी में तूफ़ान बंधा है और प्राण में ज्वाला है
जन्मभूमि है यही हमारे वीर सुभाष महान की
इस मिट्टी से ...

इन्साफ़ की डगर पे, बच्चों दिखाओ चल के

इन्साफ़ की डगर पे, बच्चों दिखाओ चल के
ये देश है तुम्हारा, नेता तुम्हीं हो कल के
दुनिया के रंज सहना और कुछ न मुँह से कहना
सच्चाइयों के बल पे आगे को बढ़ते रहना
रख दोगे एक दिन तुम संसार को बदल के
इन्साफ़ की ...

अपने हों या पराए सबके लिये हो न्याय
देखो कदम तुम्हारा हरगिज़ न डगमगाए
रस्ते बड़े कठिन हैं चलना सम्भल-सम्भल के
इन्साफ़ की ...

इन्सानियत के सर पर इज़्ज़त का ताज रखना
तन मन भी भेंट देकर भारत की लाज रखना
जीवन नया मिलेगा अंतिम चिता में जल के,
इन्साफ़ की ...


दे दी हमें आज़ादी बिना खड्‌ग बिना ढाल

साबरमती के सन्त तूने कर दिया कमाल

आँधी में भी जलती रही गाँधी तेरी मशाल

साबरमती के सन्त तूने कर दिया कमाल

दे दी ...


धरती पे लड़ी तूने अजब ढंग की लड़ाई

दागी न कहीं तोप न बंदूक चलाई

दुश्मन के किले पर भी न की तूने चढ़ाई

वाह रे फ़कीर खूब करामात दिखाई

चुटकी में दुश्मनों को दिया देश से निकाल

साबरमती के सन्त तूने कर दिया कमाल

दे दी ...

रघुपति राघव राजा राम


शतरंज बिछा कर यहाँ बैठा था ज़माना

लगता था मुश्किल है फ़िरंगी को हराना

टक्कर थी बड़े ज़ोर की दुश्मन भी था ताना

पर तू भी था बापू बड़ा उस्ताद पुराना

मारा वो कस के दांव के उलटी सभी की चाल

साबरमती के सन्त तूने कर दिया कमाल

दे दी ...

रघुपति राघव राजा राम


जब जब तेरा बिगुल बजा जवान चल पड़े

मज़दूर चल पड़े थे और किसान चल पड़े

हिंदू और मुसलमान, सिख पठान चल पड़े

कदमों में तेरी कोटि कोटि प्राण चल पड़े

फूलों की सेज छोड़ के दौड़े जवाहरलाल

साबरमती के सन्त तूने कर दिया कमाल

दे दी ...

रघुपति राघव राजा राम


मन में थी अहिंसा की लगन तन पे लंगोटी

लाखों में घूमता था लिये सत्य की सोंटी

वैसे तो देखने में थी हस्ती तेरी छोटी

लेकिन तुझे झुकती थी हिमालय की भी चोटी

दुनिया में भी बापू तू था इन्सान बेमिसाल

साबरमती के सन्त तूने कर दिया कमाल

दे दी ...

रघुपति राघव राजा राम


जग में जिया है कोई तो बापू तू ही जिया

तूने वतन की राह में सब कुछ लुटा दिया

माँगा न कोई तख्त न कोई ताज भी लिया

अमृत दिया तो ठीक मगर खुद ज़हर पिया

जिस दिन तेरी चिता जली, रोया था महाकाल

साबरमती के सन्त तूने कर दिया कमाल

दे दी हमें आज़ादी बिना खड्ग बिना ढाल

साबरमती के सन्त तूने कर दिया कमाल

रघुपति राघव राजा राम

सारे जहाँ से अच्छा, हिन्दोस्तां हमारा ।
हम बुलबुलें हैं इसकी, यह गुलिसतां हमारा ।।

गुरबत में हों अगर हम, रहता है दिल वतन में ।
समझो वहीं हमें भी, दिल हो जहाँ हमारा ।। सारे...

परबत वो सबसे ऊँचा, हमसाया आसमाँ का ।
वो संतरी हमारा, वो पासवां हमारा ।। सारे...

गोदी में खेलती हैं, जिसकी हज़ारों नदियाँ ।
गुलशन है जिसके दम से, रश्क-ए-जिनां हमारा ।।सारे....

ऐ आब-ए-रौंद-ए-गंगा! वो दिन है याद तुझको ।
उतरा तेरे किनारे, जब कारवां हमारा ।। सारे...

मजहब नहीं सिखाता, आपस में बैर रखना ।
हिन्दी हैं हम वतन हैं, हिन्दोस्तां हमारा ।। सारे...

यूनान, मिस्र, रोमां, सब मिट गए जहाँ से ।
अब तक मगर है बाकी, नाम-ओ-निशां हमारा ।।सारे...

कुछ बात है कि हस्ती, मिटती नहीं हमारी ।
सिदयों रहा है दुश्मन, दौर-ए-जहाँ हमारा ।। सारे...

'इक़बाल' कोई मरहूम, अपना नहीं जहाँ में ।
मालूम क्या किसी को, दर्द-ए-निहां हमारा ।। सारे...


सुजलां सुफलां मलयजशीतलाम्
सस्य श्यामलां मातरंम् .
शुभ्र ज्योत्सनाम् पुलकित यामिनीम्
फुल्ल कुसुमित द्रुमदलशोभिनीम्,
सुहासिनीं सुमधुर भाषिणीम् .
सुखदां वरदां मातरम् ॥

कोटि कोटि कन्ठ कलकल निनाद कराले
द्विसप्त कोटि भुजैर्ध्रत खरकरवाले
के बोले मा तुमी अबले
बहुबल धारिणीम् नमामि तारिणीम्
रिपुदलवारिणीम् मातरम् ॥

तुमि विद्या तुमि धर्म, तुमि ह्रदि तुमि मर्म
त्वं हि प्राणाः शरीरे
बाहुते तुमि मा शक्ति,
हृदये तुमि मा भक्ति,
तोमारै प्रतिमा गडि मन्दिरे-मन्दिरे ॥

त्वं हि दुर्गा दशप्रहरणधारिणी
कमला कमलदल विहारिणी
वाणी विद्यादायिनी, नमामि त्वाम्
नमामि कमलां अमलां अतुलाम्
सुजलां सुफलां मातरम् ॥

श्यामलां सरलां सुस्मितां भूषिताम्
धरणीं भरणीं मातरम् ॥


जन गण मन अधिनायक जय हे
भारत भाग्य विधाता
पंजाब सिन्ध गुजरात मराठा
द्राविड़ उत्कल बंग
विन्ध्य हिमाचल यमुना गंगा
उच्छल जलधि तरंग
तव शुभ नामे जागे
तव शुभ आशिष मागे
गाहे तव जय गाथा
जन गण मंगल दायक जय हे
भारत भाग्य विधाता
जय हे जय हे जय हे
जय जय जय जय हे


झण्डा ऊँचा रहे हमारा
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा-2 
झण्डा ऊँचा रहे हमारा

सदा शक्ति बरसानेवाला
प्रेम सुधा सरसानेवाला
वीरों को हर्षानेवाला
मार्तभूमि का तन-मन सारा -२
झण्डा ऊँचा ...

स्वतन्त्रता के भीषण रण में
रख (लख?) कर जोश बढ़े क्षण क्षण में
काँपे शत्रु देख कर मन में
मिट जावे भय संकट सारा -२
झण्डा ऊँचा ...

इस झण्डे के नीचे निर्भय
हो स्वराज जनता का निश्चय
बोलो भारत माता की जय
स्वतन्त्रता ही ध्येय हमारा -२
झण्डा ऊँचा ...

शान न इस की जाने पावे
चाहे जान भले ही जावे
विश्व विजय कर के दिखलावे
तब होवे प्रण पूर्ण हमारा -२
झण्डा ऊँचा ...

हिंद देश का प्यारा झंडा ऊँचा सदा रहेगा,
ऊँचा सदा रहेगा झंडा ,ऊँचा सदा रहेगा !!

शान हमारी यह झंडा है यह अरमान हमारा ,
यह बालपौरूश है सदियों का ,यह बलिदान हमारा,
जहाँ जहाँ यह जाए झंडा यह संदेश सुनाए , 
है आज़ाद हिंद यह दुनिया को आज़ाद करेगा,
ऊँचा सदा रहेगा झंडा ऊँचा सदा रहेगा !!

केसरिया बल भरने वाला सदा है सच्चाई ,
हरा रंग है हरी हमारी , धरती की अंगराए ,
कहता है यह चक्र हमारा ,क़दम ना कहीं रूकेगा,
ऊँचा सदा रहेगा झंडा ऊँचा सदा रहेगा
हिंद देश का प्यारा झंडा ,ऊँचा सदा रहेगा !!

नही चाहते हम दुनिया मे अपना राज ज़माना ,
नही चाहते औरों के मुँह की रोटी खा जाना ,
सत्य न्याय के लिए हमारा लोहू सदा बहेगा,
ऊँचा सदा रहेगा झंडा, ऊँचा सदा रहेगा !!

हम कितने सुख सपने लेकर इसको फाहरते है ,
इश् झंडे पैर मार मिटने की कसम सभी खाते है 
ऊँचा सदा रहेगा झंडा ऊँचा सदा रहेगा ,
हिंद देश का प्यारा झंडा ऊँचा सदा रहेगा !!
जय हिंद, जय हिंद, जय हिंद !!

Wednesday, August 1, 2012

Prefix "a" (or "an") with nouns in the Sanskrit vocabulary

Can the prefix "a" (or "an"), that expresses negation or absence, be used in all nouns in the Sanskrit vocabulary?

In Sanskrit "a" is a prefix which changes the meaning of a word into its opposite. "vidya" means understanding and "avidya" means ignorance. This pattern is same in many Greek words also, like "atheism" vs. "theism", etc.

There are other prefixes also, like "an” and “nir” which denote the opposite of the word they are attached with.

Also, the prefix "vi" is added to a noun make the meaning opposite. E.g. yog योग means joining while viyog वियोग means separation. Again, "vi" prefix has another role of meaning more "specific" or "specialist" than the word attached to, like gyan ज्ञान is knowledge while vigyan विज्ञान is specific knowledge.

So there is no blanket rule that opposite can be made by only attaching "a" or "an" and it varies...