Wednesday, July 21, 2010

Random Sentences in Hindi

बिना प्रयोजन यह प्रश्न पूछना एक मानसिक बीमारी है।

अभी पिछले हफ्ते ओला कैब का ड्राईवर मुझसे पूछ रहा था कि आपको कितना मिलता है।

इस लिए पूछ रहा था ताकि वह अपनी खुद की इनकम से तुलना करके या तो खुश हो या दुखी।

संतोष किसी में नहीं आजकल।

हाँ अगर बड़े-बूढ़े ये सवाल करें तो वो अपने संतोष के लिए करते हैं।

शुरू के दिनों में मैं टाल नहीं पाता था, पर अब कुछ जवाब नहीं देता

बस आग लगा दिया ना बेटा

मुझे ये सब पूछने वालों से बहुत चिढ़ है

ये कोई नहीं पूछताहै आप मैनेज कैसे करते हैं।

मुझे आजतक नहीं पता कि मेरे बेटे बेटियों और बहुओं को कितना मिलता है; यहाँ तक कि पति का भीनहीं पता था; क्योंकि कभी पूछा ही नहीं।

Sunday, March 28, 2010

Random Sentences in Hindi

Let me know if you have any queries: 

दिल्ली वालों के लिए अट्टहास निकलता है । एक बार धोखा खाकर भी नहीं सम्भले

'कमीना' और 'साला' शब्द संवैधानिक और मर्यादित माने जाएं. दिल्ली के मुख्यमंत्री के मुंह से ये शब्द सुनकर आज पूरा देश धन्य हो गया, खासकर देश की राजधानी 'दिल्ली'. (व्यंग)

जब एक व्यक्ति पूरे देश को बेवकूफ बना लेता है तो यह व्यक्ति तो उसके सामने बौना है ...हाहाहा...

जी, बिलकुल सटीक बात कही आपने। अपने झूठे वादे पुरे न करने से बचने का इससे अच्छा तरीका नहीं हो सकता।

उनके आतंरिक लोकपाल - एडमिरल रामदास को कहा गया है की मीटिंग में न आएं! वाह रे लोकपाल के फ्रॉड एक्टिविस्ट्स

यह लोगों को झूठ और माया के पाखंड में मोहित कर अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा को पूरा करने वाली पार्टी थी, है और रहेगी। यह विकल्प के नाम पर भयानक ढोंग का राजनीतिक ढांचा है।

सारे "आपिये" मिलजुल कर "नाटक" कर रहे हैं , वह भी अपने वोटरों की रूचि और मानसिकता के अनुसार । इससे दिल्ली वाले "गरिया कर" अपनी भड़ास निकाल लेंगे। बस "जिम्मेदारियों" से मुक्त क्योंकि "गरियाने के बाद" तो दिल्ली वाले उनके "विरोधी हो जायेंगे ।" इसलिए उनके प्रति "आआपा" की कोई जिम्मेदारी नहीं बनती...

एक दिन केजरीवाल को दिल्ली से भगा कर बनारस वापस भेज दिया जायेगा

कोई ये नहीं समझ रहा है कि आज भी दिल्ली वालों को बेवकूफ बनाया जा रहा है

यह तो दिल्ली वाले ही बेहतर बता सकते हैं

मुफ्त मुफ़्त मुफ़्त .....एक के साथ दूसरा

मुझे लग रहा है कि लोग इसी लायक हैं भी

भाई जी , बडबोला होना उसी तरह है जैसे की मिट्टी के ढेले पे खड़ा हो के उंचा बनना , पानी आता है तो मिट्टी गल जाती है , और आदमी वहीं का वहीं , झूठे वादे कर के वोट पा लेना और बात है और अपने बल पे और ऐसे माहौल में इतनी भारी मेजोरिटी पाना औए बात

दिल्ली वाले इतने नादान तो न थे

मुझे लग रहा है कि लोग इसी लायक हैं भी । इतनी बड़ी मेजारिटी देने का क्या तुक है ।

अरे भाई दिल्ली को बनाया तो क्या बनाया , मैं तो पूरे भारत के चक्कर में चक्कर खा रहा हूँ

दिल्ली वाले आज भी अपने वोट का हिसाब न मांग कर मुफ़्त मनोरंजन में व्यस्त है

मुझे आज भी आश्चर्य होता है एक व्यति पूरी दिल्ली को कैसे बेवकूफ बना सकता है, वो भी बार बार ।

Saturday, March 27, 2010

Random Sentences in Hindi

Let me know if you have any queries:

इंसान "पाथ ऑफ़ लीस्ट रेसिस्टेंस" पर जाता है - जिस क्षेत्र में ज्यादा उन्नति की सम्भावना होती है, वहाँ जाता है। मुझे लगता है पलायन करना एक मानसिक स्थिति है - शायद उस इन्सान की जड़ें उतनी मजबूत नहीं थीं - इस लिए वो पलायन कर सका। जो नहीं करते उनमे कुछ को मौका नहीं मिलता इसलिए, जबकि कुछ की "जड़ें"  मजबूत होने के कारण।

ये दूसरे कैटेगरी के लोग उतनी व्यावसायिक उन्नति नहीं कर पाते जितना पहले वर्ग के कर लेते हैं - पर मानसिक शांति ज्यादा पाते हैं और परिवार और बच्चों को बेहतर संस्कार दे पाते हैं।

इंसान सोने के बिस्किट खा तो नहीं सकता !  और ना ही सोने के पिंजरों में नींद आती है!

आरक्षण पाने वालों की लिस्ट अपडेट होती रहती है। अगर कोई साबित भी कर दे कि कोई जाति विशेष अब सामान्य वर्ग से ज्यादा संपन्न हो गई है तो भी ज्यादा से ज्यादा उच्चतम न्यायालय उस जाति विशेष को लिस्ट से हटा देगी।

पर सिर्फ आर्थिक उन्नति ही क्राइटेरिया नहीं है बल्कि सामाजिक स्थिति भी है जो कि सब्जेक्टिव है - सरकार एक कमिटी बनाएगी अध्ययन के लिए जो ५-१० साल में रिपोर्ट देगी।

पर देशप्रेमियों की ऑब्जेक्शन किसी जातिविशेष को आरक्षण मिलना नहीं है - बल्कि इस व्यवस्था से है - जो कि संविधान संशोधनों से पेचीदी हो गई है।

एकता सबसे बड़ी ताकत है लोकतंत्र में।

आपको भी रामनवमी की बधाई ।। जय श्री राम ।।

ह्रदय व्यथित है, कुंठित हु, १०० करोङ लोंगो की प्रियवर मेरे श्री राम २३ वर्षो से अब भी जीर्ण शीर्ण कनात में रहने को मजबूर है, पर मुझे भरोषा है इस कथन पर "होहई वही जो राम रची राखा " 

जिस प्रकार हमारे अयोध्या निवाशियो की लाखो अनुनय विनय के बाद भी उन्होंने त्रेता युग में बनगमन को अपनाया और वही निमित्त बना अशुर राज रावण बध का, हो सकता है प्रभु राम किशी बड़े प्रयोजन के लिए राम भक्तो को इंतजार करा रहे हो, 

हम तो राम जी राम जी हमारे है , अभी भी याद है। .... राम लला हम आएंगे। …………… , बच्चा बच्चा राम का। ............. , राम जी के जो काम न ए। ……………… ,

राम लला को सही स्थान में स्थापित करने की जिम्मेदारी भारत के लोगों की है - राम तो हम सबमें हैं - पर हमनें उन्हें पाया नहीं है।  अगर हमारे देशवासियों के सच्चे दिल में राम होते तो अयोध्या में भी मन्दिर होता।  तो अयोध्या में मन्दिर वापस लाने की लड़ाई हमें अपने अन्तःमन में राम के आदर्शों को स्थापित करने की लड़ाई है।  

रामनवमी की शुभकामनायें