Monday, October 2, 2017

दीपावली - दीपोत्सव की पूर्णता

एक दीप द्वार पर - यह अभ्यागत के लिए आमंत्रण है।
एक दीप देहरी पर - यह अभ्यागत के लिए प्रकाश-पांवडा है।
एक दीप आँगन-प्रकोष्ठ में - यह अभ्यागत के लिए आतिथ्य का आश्वासन है।
एक दीप राह में - यह अभ्यागत के लिए मार्गदर्शक है।
एक दीप चौराहे पर - यह अभ्यागत के लिए दिशा बोधक है।
एक दीप कूल कगार पर - यह अभ्यागत की नौका को तट का बोध कराने के लिए है।
एक दीप लहरों पर - यह...?

यह दीप लहरों पर प्रवाहित क्यों है?

प्रत्येक संध्या को गंगा में अनगिनत दीप क्यों प्रवाहित किए जाते हैं?

उद्द्येश्य इसके अतिरिक्त और हो भी क्या सकता है कि तरंग-तुरंगों पर आरूढ़ ये दीप उन तक चल कर जाएँ जो स्वयं चल कर प्रकाश तक नहीं आएंगे।

अर्थात?

अर्थात यह कि दीप जलाकर प्रकाश करने में ही दीपोत्सव की पूर्णता नहीं है, दीपोत्सव की पूर्णता है प्रकाश को अंधकार की क्षितिजों तक पहुँचाने में।

- रामानंद दोषी, १९६९