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मै नहीं करता ये सैर.
कभी नाम नहीं सुना; इतने भी मशहूर नहीं होंगे।
मोदी को किसी से दिक्कत नहीं। सिर्फ रास्त्रविरोधियों को उनसे दिक्कत है जिनके भगवान या तो रूस में हैं या अरबिया में।
शायद ताकि वह अपनी कमजोरी ना बन जाए।
कुछ लोग तो अभी भी मानते हैं की अयोध्या में मंदिर नहीं था; कोर्ट के फैसले के बाद भी। जो मोदी विरोध के नशे में धुत्त हैं उन्हें सच्चाई नहीं दीखती।
हाँ बहुत अच्छी फिल्म है सबको देखनी चाहिए
आतंकवादियों को बचाने के लिए व्यक्तिगत उदहारण सही नहीं हैं।
जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन तैसी।
कांग्रेस के भ्रस्टाचार का मोदी और बीजेपी ही एकमात्र विकल्प हैं और इस लिए सभी देशप्रेमियों को एक जुट होना चहिये.
पोस्ट पर अन्फौलो का ऑप्शन दबाइए।
सीमा पर और मुंबई, बनारस और दिल्ली में पाकिस्तानी आतंकवादी जिन्हें मारते हैं; वो भी "भारतीय" होते हैं। पाकिस्तानियों की कृत्रिम प्रशंशा बंद कीजिये।
भारत विरोधी तत्यों से कोई सहानुभूति नहीं।
नरेन्द्र मोदी से देश को बहुत आशा है. उनके जैसे सभी हिन्दू रास्त्रवादियों को कांग्रेस मुक्त देश निर्माण में जुट जाना चाहिए।
इतना लिखने के बदले सिर्फ ये कह देते - अब मेरी बरी है, मुझे सत्ता दे दो please.... :) जहाँ तक राजनाथ सिंह जी की बात है; उन्हें हिंदी के उत्थान के कार्य के लिए बधाई!
जबतक होली काउस हैं; तोता आजाद नहीं होगा।
'मुल्ला मुलायम' को बधाई!
प्रणाम!
हिन्दुओं को इसमें शामिल करके अपमानित मत करें।
सही कहा।
निर्मल बाबा को इसमें क्यों शामिल करके अपमानित किया?
पर भावी प्रधानमंत्री श्री राहुल गाँधी के गुरु तो आदरणीय दिग्विजय सिंह जी थे! और किसी के शरण में क्यों गए?
अर्थव्यवस्था की सोचिये - देश की हालत ख़राब है
देश के सपूत नरेन्द्र मोदी को हमारी शुभकामनाएं - आपके बददुआ से बचाने के लिए :)
यदि सरदार पटेल को पता होता कि नेहरू
वंशवाद की राजनीति और चीन से आत्मघाती मित्रता करने जा रहे थे तो वो चाचा
नेहरू पर भी प्रतिबंध लगा देते.
ॐ नमः शिवाय!
यदि सरदार पटेल को पता होता कि आज़ादी के पश्चात की कांग्रेस मुस्लिम तुस्टीकरण, आतंकवाद प्रोत्साहन और वंशवाद एवं भ्रस्टाचार की राजनीति "गांधी" के उपनाम पर करने वाली है तो वो कांग्रेस को भी प्रतिबंधित कर देते। क्योंकि ये सभी काम गाँधी जी के पार्थिव शरीर पर गोली चलाने से ज्यादा जघन्य हैं।
भ्रस्टाचार के विरोध में बोलना और कांग्रेस पार्टी का समर्थन करना: ये बात कुछ हज़म नहीं हुई :)
कांग्रेस ने आजादी दिलाई; यह कहना सुभाषचंद्र, भगत सिंह और आजाद जैसे क्रांतिकारियों के साथ अन्याय है. आजादी से पहले
मान्यवर, आजादी के पहले की कांग्रेस और आजादी के बाद की कांग्रेस में जमीन आसमान का अंतर है. आजादी के पहले हिंदुस्तानी गोरे अंग्रेजों से त्रस्त थे और आज़ादी के बाद भूरे अंग्रेजों से त्रस्त हैं। आज की कांग्रेस मुस्लिम तुस्टीकरण, आतंकवाद प्रोत्साहन, वंशवाद एवं भ्रस्टाचार की राजनीति "गांधी" के उपनाम पर करती है.
नहीं, मुझे लगता है कि वो फिर भी बलिदान करते, बस नेहरु जैसे "भारतीय अंग्रेजों" के सामने हमें नहीं छोड़ते। और ना ही भारत विभाजन होता और न ही आज हिन्दू हिंदुस्तान में उपेक्षित और आतंकित रहता।
सच कई बार हजम नहीं होता। इसका मतलब ये नहीं कि जो भी हजम न हो वो सच है. वरना दिग्विजय सिंह जी भी कई हजम न होने वाली बातें बोलते हैं :)
अपने मुंह मियाँ मिट्ठू होना - ये तो हमारी संस्कृति नहीं :) शायद कांग्रेस समर्थन का असर है
इनमे से दो ने अपनी गलतियों की सजा पाई है. इंदिरा जी ने सिख अलगाववाद को बढाया और राजीव जी ने तमिल स्वायत्तता को समर्थन दिया और बाद में अपने ही चक्रव्यूह में खेत रहे. पर चिंता की ये बात है कि देश में कितने मासूमों ने इनकी गलतियों की सजा पायी। कितने सिख मारे इन्होने और कितने तमिल श्रीलंका में। शर्म से आखें नम हो जाती हैं।
धर्म तो इंसान को भगवान् के पद पर पंहुचा सकता है. सच्चे धार्मिक बनना चाहिए। इंसान का शरीर कुछ विशेष कारणों से मिला है.
हिंदुस्तान का अर्थ है - हिन्दुओं का स्थान।
आप जैसे साधक लोग रहेंगे, तो हिंदी की रसधार हमेशा बहेगी।
आपने पूरी न्यूज़ पढ़ी? दिवंगत लड़के की माँ ने उसे कमरे में बंद किया था ताकि वो रेसिंग करने न जाये। पर वो दोस्तों के साथ निकल गया। न्यूज़ सुन कर मै कह सकता हूँ कि "फेसबुक की लत उसकी लत के सामने अच्छी लगती है", पर ऐसे कमेंट्स और द्रिस्टिकोण पुलिस की बर्बरता को छिपाते हैं और मामले के साथ अन्याय करते हैं (आपका यह पोस्ट भी इस मामले में दोषयुक्त है)। यदि वो नशे में भी होता तो भी पुलिस की गोली गैरकानूनी और गलत थी। पुलिस की जितनी भी निंदा की जाय कम है। और लड़के में दोष ढूँढना व्यर्थ है. भगवान उसकी आत्मा को शांति दें।
ॐ नमः शिवाय!
यदि सरदार पटेल को पता होता कि आज़ादी के पश्चात की कांग्रेस मुस्लिम तुस्टीकरण, आतंकवाद प्रोत्साहन और वंशवाद एवं भ्रस्टाचार की राजनीति "गांधी" के उपनाम पर करने वाली है तो वो कांग्रेस को भी प्रतिबंधित कर देते। क्योंकि ये सभी काम गाँधी जी के पार्थिव शरीर पर गोली चलाने से ज्यादा जघन्य हैं।
भ्रस्टाचार के विरोध में बोलना और कांग्रेस पार्टी का समर्थन करना: ये बात कुछ हज़म नहीं हुई :)
कांग्रेस ने आजादी दिलाई; यह कहना सुभाषचंद्र, भगत सिंह और आजाद जैसे क्रांतिकारियों के साथ अन्याय है. आजादी से पहले
मान्यवर, आजादी के पहले की कांग्रेस और आजादी के बाद की कांग्रेस में जमीन आसमान का अंतर है. आजादी के पहले हिंदुस्तानी गोरे अंग्रेजों से त्रस्त थे और आज़ादी के बाद भूरे अंग्रेजों से त्रस्त हैं। आज की कांग्रेस मुस्लिम तुस्टीकरण, आतंकवाद प्रोत्साहन, वंशवाद एवं भ्रस्टाचार की राजनीति "गांधी" के उपनाम पर करती है.
नहीं, मुझे लगता है कि वो फिर भी बलिदान करते, बस नेहरु जैसे "भारतीय अंग्रेजों" के सामने हमें नहीं छोड़ते। और ना ही भारत विभाजन होता और न ही आज हिन्दू हिंदुस्तान में उपेक्षित और आतंकित रहता।
सच कई बार हजम नहीं होता। इसका मतलब ये नहीं कि जो भी हजम न हो वो सच है. वरना दिग्विजय सिंह जी भी कई हजम न होने वाली बातें बोलते हैं :)
अपने मुंह मियाँ मिट्ठू होना - ये तो हमारी संस्कृति नहीं :) शायद कांग्रेस समर्थन का असर है
इनमे से दो ने अपनी गलतियों की सजा पाई है. इंदिरा जी ने सिख अलगाववाद को बढाया और राजीव जी ने तमिल स्वायत्तता को समर्थन दिया और बाद में अपने ही चक्रव्यूह में खेत रहे. पर चिंता की ये बात है कि देश में कितने मासूमों ने इनकी गलतियों की सजा पायी। कितने सिख मारे इन्होने और कितने तमिल श्रीलंका में। शर्म से आखें नम हो जाती हैं।
धर्म तो इंसान को भगवान् के पद पर पंहुचा सकता है. सच्चे धार्मिक बनना चाहिए। इंसान का शरीर कुछ विशेष कारणों से मिला है.
हिंदुस्तान का अर्थ है - हिन्दुओं का स्थान।
आप जैसे साधक लोग रहेंगे, तो हिंदी की रसधार हमेशा बहेगी।
आपने पूरी न्यूज़ पढ़ी? दिवंगत लड़के की माँ ने उसे कमरे में बंद किया था ताकि वो रेसिंग करने न जाये। पर वो दोस्तों के साथ निकल गया। न्यूज़ सुन कर मै कह सकता हूँ कि "फेसबुक की लत उसकी लत के सामने अच्छी लगती है", पर ऐसे कमेंट्स और द्रिस्टिकोण पुलिस की बर्बरता को छिपाते हैं और मामले के साथ अन्याय करते हैं (आपका यह पोस्ट भी इस मामले में दोषयुक्त है)। यदि वो नशे में भी होता तो भी पुलिस की गोली गैरकानूनी और गलत थी। पुलिस की जितनी भी निंदा की जाय कम है। और लड़के में दोष ढूँढना व्यर्थ है. भगवान उसकी आत्मा को शांति दें।
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