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इंसान "पाथ ऑफ़ लीस्ट रेसिस्टेंस" पर जाता है - जिस क्षेत्र में ज्यादा उन्नति की सम्भावना होती है, वहाँ जाता है। मुझे लगता है पलायन करना एक मानसिक स्थिति है - शायद उस इन्सान की जड़ें उतनी मजबूत नहीं थीं - इस लिए वो पलायन कर सका। जो नहीं करते उनमे कुछ को मौका नहीं मिलता इसलिए, जबकि कुछ की "जड़ें" मजबूत होने के कारण।
ये दूसरे कैटेगरी के लोग उतनी व्यावसायिक उन्नति नहीं कर पाते जितना पहले वर्ग के कर लेते हैं - पर मानसिक शांति ज्यादा पाते हैं और परिवार और बच्चों को बेहतर संस्कार दे पाते हैं।
इंसान सोने के बिस्किट खा तो नहीं सकता ! और ना ही सोने के पिंजरों में नींद आती है!
आरक्षण पाने वालों की लिस्ट अपडेट होती रहती है। अगर कोई साबित भी कर दे कि कोई जाति विशेष अब सामान्य वर्ग से ज्यादा संपन्न हो गई है तो भी ज्यादा से ज्यादा उच्चतम न्यायालय उस जाति विशेष को लिस्ट से हटा देगी।
पर सिर्फ आर्थिक उन्नति ही क्राइटेरिया नहीं है बल्कि सामाजिक स्थिति भी है जो कि सब्जेक्टिव है - सरकार एक कमिटी बनाएगी अध्ययन के लिए जो ५-१० साल में रिपोर्ट देगी।
पर देशप्रेमियों की ऑब्जेक्शन किसी जातिविशेष को आरक्षण मिलना नहीं है - बल्कि इस व्यवस्था से है - जो कि संविधान संशोधनों से पेचीदी हो गई है।
एकता सबसे बड़ी ताकत है लोकतंत्र में।
इंसान "पाथ ऑफ़ लीस्ट रेसिस्टेंस" पर जाता है - जिस क्षेत्र में ज्यादा उन्नति की सम्भावना होती है, वहाँ जाता है। मुझे लगता है पलायन करना एक मानसिक स्थिति है - शायद उस इन्सान की जड़ें उतनी मजबूत नहीं थीं - इस लिए वो पलायन कर सका। जो नहीं करते उनमे कुछ को मौका नहीं मिलता इसलिए, जबकि कुछ की "जड़ें" मजबूत होने के कारण।
ये दूसरे कैटेगरी के लोग उतनी व्यावसायिक उन्नति नहीं कर पाते जितना पहले वर्ग के कर लेते हैं - पर मानसिक शांति ज्यादा पाते हैं और परिवार और बच्चों को बेहतर संस्कार दे पाते हैं।
इंसान सोने के बिस्किट खा तो नहीं सकता ! और ना ही सोने के पिंजरों में नींद आती है!
आरक्षण पाने वालों की लिस्ट अपडेट होती रहती है। अगर कोई साबित भी कर दे कि कोई जाति विशेष अब सामान्य वर्ग से ज्यादा संपन्न हो गई है तो भी ज्यादा से ज्यादा उच्चतम न्यायालय उस जाति विशेष को लिस्ट से हटा देगी।
पर सिर्फ आर्थिक उन्नति ही क्राइटेरिया नहीं है बल्कि सामाजिक स्थिति भी है जो कि सब्जेक्टिव है - सरकार एक कमिटी बनाएगी अध्ययन के लिए जो ५-१० साल में रिपोर्ट देगी।
पर देशप्रेमियों की ऑब्जेक्शन किसी जातिविशेष को आरक्षण मिलना नहीं है - बल्कि इस व्यवस्था से है - जो कि संविधान संशोधनों से पेचीदी हो गई है।
एकता सबसे बड़ी ताकत है लोकतंत्र में।
आपको भी रामनवमी की बधाई ।। जय श्री राम ।।
ह्रदय व्यथित है, कुंठित हु, १०० करोङ लोंगो की प्रियवर मेरे श्री राम २३ वर्षो से अब भी जीर्ण शीर्ण कनात में रहने को मजबूर है, पर मुझे भरोषा है इस कथन पर "होहई वही जो राम रची राखा "
जिस प्रकार हमारे अयोध्या निवाशियो की लाखो अनुनय विनय के बाद भी उन्होंने त्रेता युग में बनगमन को अपनाया और वही निमित्त बना अशुर राज रावण बध का, हो सकता है प्रभु राम किशी बड़े प्रयोजन के लिए राम भक्तो को इंतजार करा रहे हो,
हम तो राम जी राम जी हमारे है , अभी भी याद है। .... राम लला हम आएंगे। …………… , बच्चा बच्चा राम का। ............. , राम जी के जो काम न ए। ……………… ,
राम लला को सही स्थान में स्थापित करने की जिम्मेदारी भारत के लोगों की है - राम तो हम सबमें हैं - पर हमनें उन्हें पाया नहीं है। अगर हमारे देशवासियों के सच्चे दिल में राम होते तो अयोध्या में भी मन्दिर होता। तो अयोध्या में मन्दिर वापस लाने की लड़ाई हमें अपने अन्तःमन में राम के आदर्शों को स्थापित करने की लड़ाई है।
राम लला को सही स्थान में स्थापित करने की जिम्मेदारी भारत के लोगों की है - राम तो हम सबमें हैं - पर हमनें उन्हें पाया नहीं है। अगर हमारे देशवासियों के सच्चे दिल में राम होते तो अयोध्या में भी मन्दिर होता। तो अयोध्या में मन्दिर वापस लाने की लड़ाई हमें अपने अन्तःमन में राम के आदर्शों को स्थापित करने की लड़ाई है।
रामनवमी की शुभकामनायें
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