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दिल्ली वालों के लिए अट्टहास निकलता है । एक बार धोखा खाकर भी नहीं सम्भले
'कमीना' और 'साला' शब्द संवैधानिक और मर्यादित माने जाएं. दिल्ली के मुख्यमंत्री के मुंह से ये शब्द सुनकर आज पूरा देश धन्य हो गया, खासकर देश की राजधानी 'दिल्ली'. (व्यंग)
जब एक व्यक्ति पूरे देश को बेवकूफ बना लेता है तो यह व्यक्ति तो उसके सामने बौना है ...हाहाहा...
जी, बिलकुल सटीक बात कही आपने। अपने झूठे वादे पुरे न करने से बचने का इससे अच्छा तरीका नहीं हो सकता।
उनके आतंरिक लोकपाल - एडमिरल रामदास को कहा गया है की मीटिंग में न आएं! वाह रे लोकपाल के फ्रॉड एक्टिविस्ट्स
यह लोगों को झूठ और माया के पाखंड में मोहित कर अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा को पूरा करने वाली पार्टी थी, है और रहेगी। यह विकल्प के नाम पर भयानक ढोंग का राजनीतिक ढांचा है।
सारे "आपिये" मिलजुल कर "नाटक" कर रहे हैं , वह भी अपने वोटरों की रूचि और मानसिकता के अनुसार । इससे दिल्ली वाले "गरिया कर" अपनी भड़ास निकाल लेंगे। बस "जिम्मेदारियों" से मुक्त क्योंकि "गरियाने के बाद" तो दिल्ली वाले उनके "विरोधी हो जायेंगे ।" इसलिए उनके प्रति "आआपा" की कोई जिम्मेदारी नहीं बनती...
एक दिन केजरीवाल को दिल्ली से भगा कर बनारस वापस भेज दिया जायेगा
कोई ये नहीं समझ रहा है कि आज भी दिल्ली वालों को बेवकूफ बनाया जा रहा है
यह तो दिल्ली वाले ही बेहतर बता सकते हैं
मुफ्त मुफ़्त मुफ़्त .....एक के साथ दूसरा
मुझे लग रहा है कि लोग इसी लायक हैं भी
भाई जी , बडबोला होना उसी तरह है जैसे की मिट्टी के ढेले पे खड़ा हो के उंचा बनना , पानी आता है तो मिट्टी गल जाती है , और आदमी वहीं का वहीं , झूठे वादे कर के वोट पा लेना और बात है और अपने बल पे और ऐसे माहौल में इतनी भारी मेजोरिटी पाना औए बात
दिल्ली वाले इतने नादान तो न थे
मुझे लग रहा है कि लोग इसी लायक हैं भी । इतनी बड़ी मेजारिटी देने का क्या तुक है ।
अरे भाई दिल्ली को बनाया तो क्या बनाया , मैं तो पूरे भारत के चक्कर में चक्कर खा रहा हूँ
दिल्ली वाले आज भी अपने वोट का हिसाब न मांग कर मुफ़्त मनोरंजन में व्यस्त है
मुझे आज भी आश्चर्य होता है एक व्यति पूरी दिल्ली को कैसे बेवकूफ बना सकता है, वो भी बार बार ।
दिल्ली वालों के लिए अट्टहास निकलता है । एक बार धोखा खाकर भी नहीं सम्भले
'कमीना' और 'साला' शब्द संवैधानिक और मर्यादित माने जाएं. दिल्ली के मुख्यमंत्री के मुंह से ये शब्द सुनकर आज पूरा देश धन्य हो गया, खासकर देश की राजधानी 'दिल्ली'. (व्यंग)
जब एक व्यक्ति पूरे देश को बेवकूफ बना लेता है तो यह व्यक्ति तो उसके सामने बौना है ...हाहाहा...
जी, बिलकुल सटीक बात कही आपने। अपने झूठे वादे पुरे न करने से बचने का इससे अच्छा तरीका नहीं हो सकता।
उनके आतंरिक लोकपाल - एडमिरल रामदास को कहा गया है की मीटिंग में न आएं! वाह रे लोकपाल के फ्रॉड एक्टिविस्ट्स
यह लोगों को झूठ और माया के पाखंड में मोहित कर अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा को पूरा करने वाली पार्टी थी, है और रहेगी। यह विकल्प के नाम पर भयानक ढोंग का राजनीतिक ढांचा है।
सारे "आपिये" मिलजुल कर "नाटक" कर रहे हैं , वह भी अपने वोटरों की रूचि और मानसिकता के अनुसार । इससे दिल्ली वाले "गरिया कर" अपनी भड़ास निकाल लेंगे। बस "जिम्मेदारियों" से मुक्त क्योंकि "गरियाने के बाद" तो दिल्ली वाले उनके "विरोधी हो जायेंगे ।" इसलिए उनके प्रति "आआपा" की कोई जिम्मेदारी नहीं बनती...
एक दिन केजरीवाल को दिल्ली से भगा कर बनारस वापस भेज दिया जायेगा
कोई ये नहीं समझ रहा है कि आज भी दिल्ली वालों को बेवकूफ बनाया जा रहा है
यह तो दिल्ली वाले ही बेहतर बता सकते हैं
मुफ्त मुफ़्त मुफ़्त .....एक के साथ दूसरा
मुझे लग रहा है कि लोग इसी लायक हैं भी
भाई जी , बडबोला होना उसी तरह है जैसे की मिट्टी के ढेले पे खड़ा हो के उंचा बनना , पानी आता है तो मिट्टी गल जाती है , और आदमी वहीं का वहीं , झूठे वादे कर के वोट पा लेना और बात है और अपने बल पे और ऐसे माहौल में इतनी भारी मेजोरिटी पाना औए बात
दिल्ली वाले इतने नादान तो न थे
मुझे लग रहा है कि लोग इसी लायक हैं भी । इतनी बड़ी मेजारिटी देने का क्या तुक है ।
अरे भाई दिल्ली को बनाया तो क्या बनाया , मैं तो पूरे भारत के चक्कर में चक्कर खा रहा हूँ
दिल्ली वाले आज भी अपने वोट का हिसाब न मांग कर मुफ़्त मनोरंजन में व्यस्त है
मुझे आज भी आश्चर्य होता है एक व्यति पूरी दिल्ली को कैसे बेवकूफ बना सकता है, वो भी बार बार ।
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